हमारे देश में किसी मुकदमे को लेकर केश बंद भी हो जाए तब भी वर्षों बाद उसपर सवाल उठाया जाता रहा है. ऐसा एक एक मामला फिर से सामने आया है इस बार सवाल उठाने वाले कोई आम आदमी नहीं है बल्कि खुद बॉम्बे हाई कोर्ट के पूर्व जज बी. जी. कोलसे पाटिल ने दावा किया है जिसके बाद बवाल मचना तय है.
दरअसल, मुंबई के पूर्व पुलिस आयुक्त राकेश मारिया की किताब ‘लेट मी से इट नाउ’ ने विवादों का एक पिटारा खोल दिया है और इसके चलते प्रदेश की पुलिस की कार्य प्रणाली संदेह के घेरे में आ गयी है। इस किताब के विमोचन पर मारिया ने विशेष रूप से शीना वोहरा हत्याकांड को लेकर अपने सहयोगी पुलिस अधिकारियों को कठघरे में खड़ा किया था कि ‘मामले के अभियुक्तोें से संबंध होने के बावजूद उन अधिकारियों को इस जाँच से जोड़े रखा जबकि उन्हें इसकी सज़ा के रूप में दूसरे विभाग में पदोन्नत कर स्थानांतरण दे दिया गया।
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मारिया की इस किताब से विवादों का जिन्न निकला ही था कि पूर्व जज बी. जी. कोलसे पाटिल महाराष्ट्र के पूर्व एंटी टेररिस्ट स्क्वाड के प्रमुख हेमंत करकरे की हत्या का आरोप महाराष्ट्र पुलिस के ऊपर लगा दिया। नागपुर में एक सभा के दौरान कोलसे पाटिल ने कहा कि करकरे की मौत कसाब की गोली से नहीं, महाराष्ट्र पुलिस की पिस्टल में प्रयोग में आने वाली ‘प्वाइंट नाइन’ की गोली से हुई थी। उन्होंने कहा कि यह कृत्य महाराष्ट्र पुलिस में हिन्दू विचारधारा वाले पुलिसकर्मी द्वारा किया गया है।
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यह पहली बार नहीं है जब करकरे की हत्या पर सवाल उठे हैं। इससे पहले भी पिछले साल पूर्व जज बी. जी. कोलसे पाटिल ने एक जनसभा में इस घटना का आरोप आरएसएस पर लगाया था. जिसकी वीडियो अब सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है.