दिल्ली और हैदराबाद के निर्भया को न्याय मिल गया, लेकिन “कठुआ” की आसिफा को इन्साफ कब मिलेगा?

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सात साल 3 महीने और तीन दिन पहले यानी 16 दिसंबर 2012 को देश की राजधानी में हुई इस घटना ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया था. सड़कों पर युवाओं का सैलाब इंसाफ मांगने के लिए निकला था और आज जाकर उसका नतीजा निकला है.

तिहाड़ जेल के फांसी घर में शुक्रवार सुबह ठीक 5.30 बजे निर्भया के चारों दोषियों को फांसी दी गई. निर्भया के चारों दोषियों विनय, अक्षय, मुकेश और पवन गुप्ता को एक साथ फांसी के फंदे पर लटकाया गया.

वही कुछ दिन पहले हैदराबाद में एक डॉक्टर का रेप हुआ था जिसके आरोप चार लोगो पर लगा था. जिन्होंने महिला डॉक्टर के साथ रेप करने के बाद उसकी हत्या कर के शव जला दिया था. देखते ही देखते पूरे देश में गुस्से की आग भड़क उठी. हर कोई यही चाह रहा है कि अपराधियों को सख्त से सख्त सजा दी जाए.

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बहुत से लोग ये भी कह रहे हैं कि उन्हें जिंदा जला देना चाहिए. यहां तक कि एक आरोपी की मां ने खुद कह दिया है कि उनके दोषी बेटे को फांसी दे दी जाए या जिंदा जला दिया जाए. वाकई रूह कंपा देने वाली सजा होगी. वही दो दिन बाद उन अपराधियों को अन्कॉउंटर कर दिया गया.

आज जब निर्भया के दोषियों को फांसी मिली तो लोग कठुआ में हुए एक साल पहले एक मासूम बच्ची के साथ रेप हुआ था जिसके बाद उसकी हत्या भी कर दी गयी थी. आज सोशल मीडिया पर लोग ट्वीट करके पूछ रहे है की कठुआ के आसिफा को इन्साफ कब मिलेगा?

ट्विटर पर काकावानी ने ट्वीट करते हुए लिखा ‘ चलिए दिल्ली वाले में फांसी हो गई।
हैदराबाद वाले में एनकाउंटर कर दिया गया।
लेकिन एगो सवाल कुरेद रहा है🤔
“कठुआ” में मासूम बच्ची का
जो बलात्कार व निर्मम हत्या
हुआ था उस बच्ची को न्याय मिलेगा क्या? ”

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गोरतलब है की, आसिफा रेप काण्ड पिछले साल 12 जनवरी को सामने आया था. जब लड़की के पिता मोहम्मद यूसुफ ने हीरानगर थाने में केस दर्ज कराया था. इसके मुताबिक, 10 जनवरी को लगभग 12:30 बजे उनकी बेटी जंगल में घोड़े के लिए चारा लेने गई थी, जिसके बाद वह नहीं लौटी. उनकी शिकायत के बाद पुलिस ने एफआईआर दर्ज की.

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एफआईआर दर्ज होने के कुछ दिन बाद जब कठुआ के रासना गांव के पास खोजबीन हुई तो आसिफा का शव पास के इलाके से मिला था. जब मेडिकल जांच हुई तो सभी हैरान रह गए. जांच में बच्ची से गैंगरेप की बात सामने आई.

पहले तो यह मामला पुलिस ने एक नाबालिग को पकड़कर रफा-दफा कर दिया, लेकिन बाद में मामला जम्मू कश्मीर पुलिस की क्राइम ब्रांच को सौंपा गया. 9 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर पुलिस ने केस के आठ आरोपियों के खिलाफ 18 पन्नों की चार्जशीट दाखिल की. चार्जशीट में आरोपियों की बच्ची से बर्बरता रोंगटे खड़े करने वाली है. इसमें बताया गया है कि 11 जनवरी को नाबालिग आरोपी ने एक अन्य आरोपी विशाल जंगोत्रा को लड़की के अपहरण के बारे में जानकारी दी.

फोन कर उसने कहा कि अगर वह हवस बुझाना चाहता है तो मेरठ से जल्दी आ जाए. 12 जनवरी को विशाल रासना गांव पहुंचा. आरोपियों ने बच्ची को एक मंदिर में बंधक बनाकर रखा था. आरोपियों ने उसे नशे की टेबलेट दी. उसका कई बार रेप किया गया.

चार्जशीट में सबसे शर्मसार करने वाला वाकया पुलिसकर्मी का बताया गया है. इसमें कहा गया है कि लड़की से गैंगरेप के बाद उसकी हत्या करने की योजना बनाई जा रही थी. इस बीच आरोपियों ने अपने साथी पुलिसकर्मी दीपक खजूरिया से संपर्क किया.

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पुलिसकर्मी ने कहा कि यदि बच्ची की हत्या कर शव को छिपाना है तो थोड़ा इंतजार करो, मैं भी हवस मिटाना चाहता हूं. इसके बाद पुलिसकर्मी ने भी लड़की से बलात्कार किया. फिर आरोपियों ने पत्थरों से वार कर बच्ची का सिर कुचला और गला घोंटकर हत्या कर दी. 15 जनवरी को शव को जंगल में फेंक दिया

यही नहीं, चार्जशीट में यह भी कहा गया है कि पुलिस ने केस से बचाने के लिए रेप के आरोपी नाबालिग की मां से डेढ़ लाख रुपये घूस ली. जब इस मामले की जांच क्राइम ब्रांच को दो गई तो इस पर जमकर राजनीति हुई. विधानसभा में भी खूब हंगामा हुआ. हैरान करने वाली बात तो यह कि लोगों ने झंडे लेकर आरोपियों के पक्ष में प्रदर्शन किया.

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