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सोशल मीडिया पर अक्सर सोनिया गाँधी पर सवाल उठाये जाते है की वह पूर्व प्रधान मंत्री डॉ. मनमोहन सिंह को रिमोट कण्ट्रोल के तरह काम इस्तेमाल करती थी. विपक्ष का आरोप रहता है की सिर्फ कहने को प्रधान मंत्री डॉ. मनमोहन सिंह थे जबकि सारा काम सोनिया गाँधी के फैसले से होता था.

वही इस आरोप का जबाब जब हमने तलाशना शुरू किया था तो हमे एक पूर्व राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम शाहब की लिखी एक किताब मिली। किताब का नाम है ” TRUNING POINTS” इस किताब में पूर्व राष्ट्रपति ने 2004 के लोकसभा चुनाव के बारे में जिक्र किया है.

कलाम अपने किताब टर्निंग पॉइंट्स के पेज नंबर 134, 135, 136, में लिखते है की ” सोनिया गाधी के प्रधानमंत्री बनने पर हमे कोई ऐतराज नहीं था। कलाम तो राजनीतिक पार्टियों के भारी दबाव के बावजूद उन्हें प्रधानमंत्री पद की शपथ दिलाने के लिए पूरी तरह तैयार थे। कलाम के मुताबिक, सोनिया ही उनके सामने संवैधानिक रूप से मान्य एकमात्र विकल्प थीं।

उन्होंने अपने किताब में कहा ” मई 2004 में हुए चुनाव के नतीजों के बाद सोनिया गाधी उनसे मिलने आई थीं। प्रेजिडेंट हाउस की ओर से उन्हें प्रधानमंत्री बनाए जाने को लेकर चिट्ठी तैयार कर ली गई थी।

उन्होंने कहा यदि सोनिया गाधी ने खुद प्रधानमंत्री बनने का दावा पेश किया होता, तो मेरे पास उन्हें नियुक्त करने के अलावा कोई विकल्प नहीं था। उन्होंने किताब में आगे लिखा है, 18 मई 2004 को जब सोनिया गाधी मनमोहन सिंह को लेकर आईं, तो मुझे आश्चर्य हुआ। सोनिया गाधी ने मुझे कई दलों के समर्थन के पत्र दिखाए। मैंने उनसे कहा कि उनकी सुविधा के मुताबिक वह शपथ दिलाने को तैयार हैं।

सोनिया ने बताया कि वह मनमोहन सिंह को प्रधानमंत्री के पद पर मनोनीत करना चाहती हैं। ये मेरे लिए आश्चर्य का विषय था और राष्ट्रपति भवन के सचिवालय को चिट्ठिया फिर से तैयार करनी पड़ीं।’ कलाम के इस खुलासे से पहले अक्सर बीजेपी और दूसरी पार्टिया यह प्रचारित करती रहती थीं कि सोनिया गाधी प्रधानमंत्री तो बनना चाहतीं थीं, लेकिन राष्ट्रपति कलाम ने उनके विदेशी मूल का मुद्दा उठाकर कह दिया था कि उन्हें संवैधानिक मशविरा करना होगा, इसके बाद सोनिया गाधी ने मनमोहन सिंह का नाम सुझाया था।

कलाम ने पुस्तक में कहा, ‘उस समय कई ऐसा नेता थे जो इस अनुरोध के साथ मुझसे मिलने आए कि मैं किसी दबाव के सामने नहीं झुकूं और श्रीमती सोनिया गांधी को प्रधानमंत्री नियुक्त करूं. यह एक ऐसा अनुरोध था जो संवैधानिक रूप से मान्य नहीं होता. यदि उन्होंने स्वयं ही अपने लिए कोई दावा किया होता तो मेरे पास उन्हें नियुक्त करने के सिवा कोई विकल्प नहीं होता.’

उन्होंने लिखा है कि लोकसभा चुनाव के नतीजे घोषित हो जाने के तीन दिन तक कोई भी दल या गठबंधन सरकार बनाने के लिए आगे नहीं आया. उन्होंने लिखा है कि उन्हें अपने कार्यकाल के दौरान कई कड़े फैसले करने पड़े.

पूर्व राष्ट्रपति ने इस किताब में आगे लिखा है, ‘कानूनी और संवैधानिक विशेषज्ञों की राय जानने के बाद बिल्कुल ही निष्पक्ष तरीके से मैंने अपना दिमाग लगाया. इन सभी फैसलों का प्राथमिक लक्ष्य संविधान की गरिमा का संरक्षण और संवर्धन तथा उसे मजबूती प्रदान करना था.’

वर्ष 2004 के चुनाव को रोचक घटना करार देते हुए उन्होंने लिखा है, ‘यह मेरे लिए चिंता का विषय था और मैंने अपने सचिवों से पूछा तथा मैंने सबसे बड़े दल को सरकार गठन के लिए आगे आने और दावा करने के लिए पत्र लिखा. इस स्थिति में कांग्रेस सबसे बड़ा दल था.’

कलाम ने लिखा ‘मुझे बताया गया कि सोनिया गांधी 18 मई को दोहपर सवा बारह बजे मुझसे मिल रही हैं. वह समय से आयीं और अकेले आने के बजाय वह डॉ. मनमोहन सिंह के साथ आयीं एवं मेरे साथ उन्होंने चर्चा की. उन्होंने कहा कि उनके पास पर्याप्त संख्याबल है लेकिन वह पार्टी पदाधिकारियों के हस्ताक्षर वाले समर्थन पत्र लेकर नहीं आयी हैं.’

आगे इस किताब में लिखा ” सोनिया गांधी ने कहा कि वह 19 मई को समर्थन पत्र लेकर आयेंगी. मैंने उनसे पूछा कि आपने क्यों स्थगित कर दिया. हम आज दोपहर भी इसे (सरकार गठन संबंधी औपचारिकता) पूरा सकते हैं. वह चली गयीं. बाद में मुझे संदेश मिला कि वह अगले दिन शाम में सवा आठ बजे मुझसे मिलेंगी.’ जब यह संवाद चल रहा था तब कलाम को विभिन्न व्यक्तियों, संगठनों और दलों से कई ईमेल और पत्र मिले कि उन्हें सोनिया गांधी को प्रधानमंत्री नहीं बनने देना चाहिए.

उन्नीस मई को निर्धारित समय शाम सवा आठ बजे सोनिया गांधी डॉ. मनमोहन सिंह के साथ राष्ट्रपति भवन आयीं. कलाम ने लिखा है, ‘बैठक में परस्पर अभिवादन के बाद उन्होंने मुझे विभिन्न दलों के समर्थन पत्र दिखाए. उसपर मैंने कहा कि स्वागत योग्य है.

आपको जो समय सही लगे राष्ट्रपति भवन शपथ-ग्रहण समारोह के लिए तैयार है. उसके बाद उन्होंने मुझसे कहा कि वह डॉ. मनमोहन सिंह को बतौर प्रधानमंत्री नामित करना चाहेंगी जो 1991 में आर्थिक सुधारों के शिल्पी थे और बेदाग छवि के साथ कांग्रेस पार्टी के भरोसेमंद लेफ्टिनेंट हैं.’

उन्होंने लिखा, ‘निश्चित रूप से यह मेरे लिए एक आश्चर्य था और फिर से राष्ट्रपति भवन सचिवालय को डॉ. मनमोहन सिंह को बतौर प्रधानमंत्री नियुक्त करने और उन्हें शीघ्र ही सरकार गठन का न्यौता देने वाला पत्र लिखना पड़ा.’ पूर्व राष्ट्रपति की इस पुस्तक को हार्पर कोलिंस इंडिया ने छापी है

22 मई को मनमोहन सिंह ओर 67 मंत्रियों के शपथ ग्रहण समारोह के बाद कलाम ने इस बात की राहत की सांस ली कि यह महत्वपूर्ण कार्य अंतत: पूरा हो गया.