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अमित शाह ने मंगलवार को विपक्षी नेताओं ममता बनर्जी, राहुल गांधी और अखिलेश यादव को नागरिकता कानून पर बहस करने की चुनौती दी थी.

केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने नागरिकता संशोधन कानून का विरोध कर रहे विपक्षी पार्टियों पर निशाना साधते हुए मंगलवार को उन्हें चुनौती दी कि जिसको विरोध करना है, करे लेकिन सीएए वापस नहीं होने वाला है. शाह ने सीएए के समर्थन में लखनऊ के बंग्लाबाजार स्थित कथा पार्क में आयोजित विशाल जनसभा में कहा, ‘इस बिल को लोकसभा में मैंने पेश किया है. मैं विपक्षियों से कहना चाहता हूं कि आप इस बिल पर सार्वजनिक रूप से चर्चा कर लो. यदि ये अगर किसी भी व्यक्ति की नागरिकता ले सकता है, तो उसे साबित करके दिखाओ.’

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उन्होंने कहा, ‘देश में सीएए के खिलाफ भ्रम फैलाया जा रहा है, दंगे कराए जा रहे हैं. सीएए में कहीं पर भी किसी की नागरिकता लेने का कोई प्रावधान नहीं है, इसमें नागरिकता देने का प्रावधान है … मैं आज डंके की चोट पर कहने आया हूं कि जिसको विरोध करना है करे, सीएए वापस नहीं होने वाला है.’ गृह मंत्री ने कहा कि कांग्रेस और सपा समेत विपक्षी दल इसका विरोध कर रहे हैं, क्योंकि उनकी आंखों पर वोट बैंक की पट्टी बंधी है.

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वही अब इसपर अखिलेश यादव ने अमित शाह के कहे शब्द ‘डंके की चोट’ पर कहा कि ये राजनेताओं की भाषा नहीं हो सकती. बुधवार को जनेश्वर मिश्र की पुण्यतिथि पर जनेश्वर मिश्र पार्क में आयोजित कार्यक्रम में अखिलेश ने कहा कि बहुमत के कारण बीजेपी आम लोगों की आवाज नहीं दबा सकती. उन्होंने कहा कि बीजेपी जब चाहे तब, सीएए और विकास के मुद्दे पर उनसे बहस करने को वह तैयार हैं. वह उन्हें सिर्फ जगह और मंच के बारे में बता दे.

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वहीं बीएसपी की अध्यक्ष मायावती ने बुधवार को CAA और NRC के मुद्दे पर बहस करने की सत्तापक्ष की चुनौती को मंजूर करते हुए कहा है कि उनकी पार्टी सीएए और एनआरसी के मुद्दे पर किसी भी मंच पर बहस करने को तैयार है. मायावती ने ट्वीट कर कहा, “अति-विवादित सीएए-एनआरसी-एनपीआर के खिलाफ पूरे देश में खासकर युवा और महिलाओं के संगठित होकर संघर्ष व आन्दोलित हो जाने से परेशान केन्द्र सरकार द्वारा लखनऊ की रैली में विपक्ष को इस मुद्दे पर बहस करने की चुनौती को बीएसपी किसी भी मंच पर व कहीं भी स्वीकार करने को तैयार है.”

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